डिण्डौरी – घने जंगलों के बीच रहकर एक बाबा को हरे भरे पेड़ पौधों ओर वन्यप्राणियो से इस कदर लगाव है कि दिन हो या रात वह इन्हें बचाने की भरसक कोशिश में वर्षों से लगे हुए है वनों को बचाने का ऐसा जूनून सवार है कि बाबा सुबह से ही उठकर जंगलों की खाक छानना प्रारंभ कर देते है और यह उनकी दिनचर्या में शामिल है उनके द्वारा लगातार रोजाना घने जंगलों के भीतर घुसकर यह तलाश की जाती है कि कोई आदमी हरे वृक्षों या वन्य जीवो को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है यहां तक कि पेड़ पौधों को हानि पहुंचाने वाले लोगो को बाबा के द्वारा समझाइश देकर इस कृत्य को रोकने की मनाही भी की जाती है ऐसा करने पर कई बार तो बाबा को विरोध का सामना भी करना पड़ता है गर्मी के सीजन में आग लग जाने या वनों की अवैध कटाई होने पर उन्हें बचाने का प्रयास करते हुए उसकी सूचना बाबा के द्वारा समय समय पर वनविभाग को भी दी जाती है बजाग विकासखंड के एक छोटे से वनग्राम शीतलपानी ग्राम के रहने वाले अरविंद बाबा निस्वार्थ और समर्पित भाव से जंगलों की सेवा में करने में लगे हुए है जंगल बचाने के लिए उनके द्वारा वनांचल के चप्पे चप्पे पर जंगल बचाओ के नारे लिखने का कार्य निरंतर जारी है नदी हो या नाले के आसपास चट्टानों हो या पेड़ व जंगली मार्गों के किनारे और अन्य कई स्थानों पर बाबा जंगल बचाने के नारे लिख लिख कर लोगो से वनों को बचाने की अपील कर रहे है और साथ ही पेड़ पौधे लगाने की प्रेरणा दे रहे है सफेद पोशाक में हाथों में पेंट वार्निश का डिब्बा और ब्रश लिए यह बाबा जंगल के किसी भी हिस्से में वनों को बचाओ के तमाम तरह के नारे लिखते हुए मिल जाएंगे। वन्य जीवो के पदचिन्हों के निशान मिलते ही उसकी पहचान कर वन क्षेत्र में उनकी आमद का पता कर लेना भी बाबा की खासियत है बाबा के घरों के आसपास के जंगलों में भी आसपास हिरणों का झुंड विचरण करते मिल जाएंगे।जिन्हें बाबा अक्सर सोशल मीडिया के माध्यम से वन्य जीवो की सुरक्षा की अपील करते हुए लोगों तक पहुंचाते है जंगलो की रक्षा एवं उनकी सेवा करना उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बनकर रह गया है उनका यह ध्येय है कि जितना हो सके वन और वन्यप्राणियो की सुरक्षा ओर सेवा करना है बाबा ने बताया कि उनके द्वारा सन 1992 से जंगल बचाओ जनजागरूकता अभियान के माध्यम से भी लोगो को जागरूक करने का सतत कार्य किया जा रहा है बीते हुए वर्षों में उन्हें इस कार्य को करते हुए बेहद कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा है यह कार्य वह स्वयं के खर्चे से कर रहे है इस कार्य के लिए अभी तक उन्हें कोई राजनैतिक या सरकारी सहयोग प्राप्त नहीं हुआ है। बाबा ने बताया कि वन विभाग द्वारा कूप विदोहन के समय बिना मापदंड के की वनों की कटाई किए जाने तथा वनों की सुरक्षा में कोताही बरते जाने की आवाज उठाने पर उन्हें प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ा है परंतु बाबा इस बात पर अडिग है कि जंगलों की बचाने के कार्य में चाहे उन्हें जान की बाजी लगाना पड़े तब भी वह पीछे नहीं हटेंगे।बाबा का कहना है कि यहां के जंगल विश्व की जान है विगत बीस वर्षों से भी ज्यादा का समय उन्हें वन एवं पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए बीत गया।
इनका कहना है-
मेरे द्वारा जंगल बचाओ जन जागरण अभियान वर्ष 1992 से शुरू किया गया था जो कि निरंतर जारी है प्रमाणित है कि यहां के जंगल विश्व की जान है में लोगों से कई माध्यमों द्वारा वनों की सुरक्षा की अपील करता हु इसमें ग्रामीणों का सहयोग भी प्राप्त होता है ।अरविंद बाबा शीतल पानी