नर्मदा एक्सप्रेस डिडोरी – अब पैथोलॉजी लैब को केवल योग्य और पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट ही चला सकेंगे और तकनीशियन इसके संचालन का अधिकार नहीं रखेंगे। साथ ही, दूसरे शहरों के विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट द्वारा पैथोलॉजी लैब का संचालन भी नहीं हो सकेगा। इस नए नियम के अनुसार, पैथोलॉजी सेवाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। यह कदम पैथोलॉजी जांचों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए उठाया गया है, ताकि मरीजों को सही निदान और उपचार मिल सके। तकनीशियन द्वारा पैथोलॉजी लैब चलाने के मामले में जांच और परिणामों की गुणवत्ता पर सवाल उठते थे, क्योंकि बिना विशेषज्ञता के लैब चलाने से गलत रिपोर्ट मिलने की आशंका रहती है।
दूसरे पैथोलॉजिस्ट के नहीं चलेंगे हस्ताक्षर-
विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट जो कि अन्य शहरों से केवल हस्ताक्षर करने या कुछ समय के लिए आते थे, उन्हें भी अब इस प्रक्रिया से हटा दिया गया है। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर पैथोलॉजी लैब का संचालन उसी स्थान पर उपस्थित पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट द्वारा ही किया जाए। ताकि होने वालीं जांच प्रभावित न हो। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस निर्णय का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और निरीक्षण बढ़ाए जाएंगे, और इसका उल्लंघन करने पर संबंधित पैथालॉजिस्ट पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दो जगह ही देंगे सेवाएं-
योग्यताधारी निजी पैथोलॉजिस्ट स्वयं की प्रयोगशाला के अतिरिक्त केवल एक अन्य पैथोलॉजिस्ट के रूप में ही अपनी सेवाएं इस शर्त में दें सकेंगे कि उक्त प्रयोगशाला में जांच सीधे उनके सुपरवीजन में की गई हैं। उपरोक्त के संबंध में उदभूत किसी भी लीगल प्रकरण हेतु वे व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह होंगे ।
एमबीबीएस डाक्टर नहीं चला सकेंगे लैब –
अब एमबीबीएस डॉक्टर निजी पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकेंगे। यह नियम भारतीय चिकित्सा परिषद और अन्य स्वास्थ्य नियामकों द्वारा लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य पैथोलॉजी जांचों की गुणवत्ता और सटीकता को सुनिश्चित करना है। इसके तहत केवल योग्य और पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट ही निजी पैथोलॉजी लैब का संचालन कर सकते हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों को पैथोलॉजी और लैब संचालन के लिए आवश्यक विशेषज्ञता नहीं मानी जाती, क्योंकि पैथोलॉजी एक विशिष्ट शाखा है जो गहन अध्ययन और प्रशिक्षण की मांग करती है। इस नियम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पैथोलॉजी लैब में की गई जांच और परीक्षण सही और सटीक हों, ताकि मरीजों को सही निदान और उपचार मिल सके। नए नियमों के उल्लंघन पर सतत कार्रवाई की जाएगी, और संबंधित लेबस को बंद करने या भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता को सुधारने के लिए उठाया गया है।
15 दिन में मांगी रिपोर्ट-
प्रदेश के समस्त निजी पैथोलॉजिस्ट द्वारा स्वयं की प्रयोगशाला अथवा विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट के रूप में जिस पैथोलॉजी प्रयोगशाला में उनके द्वारा सेवाएं दी जा रही हों की नामजद जानकारी एवं उपस्थिति समय संबंधी लिखित सूचना, आगामी 15 दिवस में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रस्तुत की जाए।
जबलपुर हाईकोर्ट ने दिए हैं आदेश-
उल्लेखनीय है कि याचिका क्र. 3721/02 में उच्च न्यायालय युगलपीठ जबलपुर द्वारा पारित आदेश में निजी पैथोलॉजी लैब के संचालन के संबंध में निर्देश दिए गए है। विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट की भूमिका पर उच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया है। निजी पैथोलॉजी लैब का संचालन केवल ऐसे पैथोलॉजिस्ट द्वारा सुनिश्चित की जाए जो मप्र आयुर्वेद परिषद अधिनियम, 1987 की धारा 13 एवं 24 की आवश्यकता को पूर्ण करते हों। किसी भी निजी प्रयोगशाला का संचालन केवल तकनीशियन द्वारा किए जाने की अनुमति नहीं है।
इनका कहना है –
पैथोलाॅजी , लैब संचालन के लिए नये दिषा निर्देश प्राप्त हुए है जिनका पालन कराया जा रहा है । इस बावद सभी पैथोलाॅजी लैब संचालको को पत्र जारी करके आवश्यक दस्तावेज भी तलब किये गये है सभी पैथोलाॅजी के पंजीयन हेतु कार्यवाई जारी है।डाॅ.रमेश मरावी, मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी डिण्डौरी