गतिविधियां बदलने पर उठ रहे सवाल,अधिकारी दे रहे गोलमोल जबाब,राज्य आजीविका मिशन में 8 करोड़ की गडबड़ी का मामला,अधर में लटकी जांच,कलेक्टर ने कहा रिपोर्ट आने पर होगी कार्यवाही

डिण्डौरी- राज्य ग्रामींण आजीविका मिषन को बैगा विकास और वॉटर शेड परियोजना के तहत के आवंटित 8 करोड़ की राषि से बदली गई गतिविधियों पर सवाल उठने लगे हैं।आरोप है कि बैगा विकास और वॉटर शेड परियोजना में पूर्व में जिन गतिविधियों हेतु सरकार ने राशि जारी की थी।उसमें 13 मई 2024 को बदलाव करके अन्य गतिविधियों को शामिल कर लिया।जबकि गतिविधि बदलने के पहले सीएलएफ,महिला ग्राम संगठन और महिला समूह,उपार्जन समिति और सम्बंधित अधिकारियों का अनुमोदन अनिवार्य था।लेकिन सभी नियमों को दरकिनार रख आजीविका मिशन के अधिकारियों ने मुनाफे वाली गतिविधियों को प्राथमिकता दी और गतिविधियों को संशोधित कर दिया।पूरे मामले पर उठ रहे सवाल पर जिला प्रबंधक एनआरएलएम ने जानकारी नहीं होने की बात कहकर सवाल को टाल दिया।हालांकि गतिविधियों के संशोधन पर कलेक्टर ने फाइल अवलोकन उपरांत कार्रवाई की बात कही है।   गौरतलब है कि पत्र क्र./169/म. प्र.दी.अ.यो रा ग्रा आ मि/कृषि/2024 के द्वारा बैगा विकास परियोजना अंतर्गत विकासखंड बजाग, करंजिया और समनापुर को लगभग 6 करोड़ 86 लाख की राषि जारी की गई थी, इस राषि से सामुदायिक स्तर पर बैगा परिवारों को आजीविका से जोड़ने 15 गतिविधियों का संचालन किया जाना था । इसी तरह बजाग और डिण्डौरी विकासखंड में चयनित ग्रामों में संचालित सीएलएफ (क्लस्टर लेबल फेडरेषन ) हेतु 2 करोड़ की राषि आवंटित की गई थी । आरोप है कि इस राषि को विकासखंड प्रबंधकों ने मनमर्जी से खर्च कर दिया , नियमानुसार उपार्जन समिति(क्रय), सीएलएफ की सहमति,उपस्थित और मंषा के अनुसार सामग्री क्रय करना था,लेकिन आजीविका मिषन के अधिकारियों ने सभी क्रय नियमों को दर किनार रख मंहगे दामों पर अमानक सामग्री क्रय करके मिषन के उदेष्यों की धज्जियां उडा दी हैं। इसके बाद जब सरकारी राषि की उपयोगिता पर सवाल उठे तो अधिकारियों ने पूरा ठीकरा सीएलएफ समूहों पर फोड़ दिया और बचाव की मुद्रा में आ गये है। भोपाल स्तर पर हुई षिकायत में अनुपयोगी उपकरण मंहगें कीमतों पर खरीदने के साथ अधिकारियों द्वारा मोटा कमीषन वसूलने के आरोप है।

महंगे दामों पर वाहन खरीदी

आजीविका मिशन के अधिकारियों ने बिना प्रावधान के बैगा विकास और वॉटर शेड परियोजना से यात्री महंगे दामों पर वाहन खरीदे हैं।जिनकी उपयोगिता शून्य नजर आ रही है।यात्री वाहन क्रय करने के पूर्व परमिट और रूट का ध्यान नहीं रखा गया।अब स्थिति यह है कि यह वाहन धूल खा रहे हैं।बताया गया है कि परियोजना के तहत वाहन योजना का प्रावधान नहीं है।

इनका कहना है…..गतिविधियों के बदलाव से संबंधित जानकारी नहीं है।दस्तावेजों को देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।जे एस पट्टा जिला प्रबंधक,एनआरएलएम …..

गतिविधियों के बदलाव के पूर्व संबंधितों से अनुमोदन लेने की जानकारी ली जावेगी।फिलहाल जांच जारी है।रिपोर्ट आने पर कार्रवाई होगी।नेहा मारव्या कलेक्टर

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