ऑनलाइन आवेदन की औपचारिकता कर धड़ल्ले से चल रहीं अवैध पैथालॉजी,बिना अनुमति संचालन पर उठ रहे सवाल….आमजनता की सेहत से खिलवाड़ जारी

डिंडोरी– जिले में गली गली चल रहीं अबैध पैथालॉजी पर कार्रवाई करने की जगह प्रशासन और विभाग इन पैथालॉजी को शह देने का काम कर रहा है।मामला प्रकाशित होने के बाद कुल पाँच पैथालॉजी संचालकों ने मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में लैब संचालन हेतु ऑनलाइन आवेदन किया है।इनमें जिला मुख्यालय के तीन इंडिया डायग्नोस्टिक पैथालॉजी,आरव पैथालॉजी,ओम पैथालॉजी शामिल हैं, जबकि शहपुरा से सुबिधा पैथालॉजी और गाड़ासरई से एक आवेदन दर्ज किये गये हैं।जिससे स्पष्ट हो जाता है कि अभी तक सभी पैथालॉजी अबैध रूप से ही चल रहीं हैं।ताज्जुब का विषय यह है अभी भी बिना अनुमति और मान्यता के संचालित इन केंद्रों के विरुद्ध कार्रवाई से परहेज करते हुऐ जिम्मेदार आगामी दिनों में अनुमति की प्रक्रिया पूरा करने की बात कह रहे हैं।जबकि नियमानुसार प्रशासन को इन अबैध लैब पर कार्रवाई का शिकंजा कस देना था।ताकि आमजनता का शारीरिक और आर्थिक शोषण रोका जा सके।गौरतलब है कि प्रशासनिक अनदेखी के चलते शहर से लेकर गांव तक बिना पेथॉलोजिस्ट और बिना रजिस्ट्रेशन के अवैध पैथोलॉजी संचालित की जा रही हैं।इनके पास मेडिकल बेस्ट और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं है। इसके बावजूद आजतक स्वास्थ्य अमले ने किसी भी पैथोलॉजी लैब के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है।मुख्यालय में अधिकांश पैथोलॉजी जिला अस्पताल के आसपास संचालित हैं।जो व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। इनको सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने को कुछ चिकित्सक भी मेहरबान रहते हैं। बता दें कि जिला स्वास्थ्य विभाग के अभिलेखों में अभी तक कोई भी पैथोलॉजी लैब दर्ज नहीं है। लेकिन जिले में दर्जनों पैथोलॉजी में मरीजों की जांच की जा रही है और बाकायदा जांच रिपोर्ट भी जारी हो रही है।जिसके बाद इनके संचालन पर सवाल उठ रहे हैं।

गौरतलब है कि शहर में ही छह से अधिक अवैध पैथोलॉजी लैब मापदंड को हासिये पर रख चल रही हैं। अहम बात यह है कि इसकी जानकारी प्रशासनिक और स्वास्थ्य अधिकारियों को भी है। बावजूद इसके जिम्मेदार अंजान बने हुए हैं। कार्रवाई नहीं होने की वजह से अवैध लैब संचालकों के हौंसले इतने बढ़ गए हैं कि लैब में मरीजों का खुले आम खून चूसा जा रहा है, क्योंकि इन लैब में कराई गई जांचों की रिपोर्ट कितनी सही होगी, इसका जवाब देने के लिए कोई भी तैयार नही है।ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग अवैध रूप से संचालित पैथोलॉजी लैब पर कार्रवाई के मूड में ही नहीं है।नतीजन मरीजों की हेल्थ से खिलबाड़ जारी है।प्रशासनिक अनदेखी की बदौलत झोलाछापों ने क्लीनिक के साथ पैथोलॉजी लैब भी खोल रखी हैं।

नियमों की अनदेखी-

जानकारों के मुताबिक पैथोलॉजी जांच की रिपोर्ट को प्रमाणित करने के लिए एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा पंजीकृत तथा पोस्ट ग्रेज्युएट डिग्रीधारक चिकित्सक को ही अधिकृत माना है।इसके साथ ही लैब में योग्यताधारी लैब टेक्नीशियन पदस्थ होना जरूरी है।जबकि जिले में नॉन पैथोलॉजिस्ट तथा झोलाछाप चिकित्सा कर्मी भी खून,पेशाब,खंगार का नमूना लेकर जांच रिपोर्ट भी दे रहे हैं।जो गलत होने के साथ स्वास्थ्य अधिनियम का भी खुला उल्लंघन है।इसके पालन नहीं करने पर कैद और जुर्माना का प्रावधान है।

अनाड़ी के हांथों बन रही रिपोर्ट-

पूरे मामले से साफ हो जाता है कि किसी भी पैथालॉजी में मापदंड का पालन नहीं किया जा रहा।लिहाजा नमूना एकत्र करने से लेकर जांच रिपोर्ट जारी करने का काम अनाड़ियों के हांथों में ही है।ऐसी दशा मे जाँच रिपोर्ट की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है।आलम यह है कि अधिकांश जांच घरों में अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों का खून, पेशाब व अन्य जांच की जा रही है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि इसी आधार पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों का ईलाज और दवा लिखी जा रही है। जिसका आर्थिक,शारीरिक और मानसिक खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।इस बाबद प्रशासन भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है।

मनमाफिक बसूली-

नियमानुसार प्रत्येक जांच के लिए रेट चार्ट भी लगाने का स्पष्ट निर्देश है।इसके पीछे मूल उद्देश्य यह है कि जांच के नाम पर मरीजों से निर्धारित राशि ही वसूल की जाए और इसमें मनमानी न हो। लेकिन, जिले के अधिकतर जांच केंद्रों पर शुल्क तालिका नहीं लगी है। इसके कारण जैसा मरीज,वैसा शुल्क का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है।

 योग्यता और रजिस्ट्रेशन दरकिनार-

लैब संचालन के लिए शासन द्वारा विधिवत नियम लागू किए गए हैं, लेकिन जिले में आश्चर्यजनक रुप से डीएमएलटी व उनके सहयोगी तक लैब संचालित कर रहे हैं, वे ही रिपोर्ट में साइन करके दे रहे हैं, जबकि लैब संचालक एमबीबीएस, एमडी पैथोलॉजिस्ट होना चाहिए। इतना ही नहीं अवैध तरीके से संचालित हो रहीं लैब के पास न ही नियमानुसार पॉल्यूशन बोर्ड का रजिस्ट्रेशन है और न ही पंजीकृत मेडिकल वेस्ट फर्म का पंजीयन है।

जिला अस्पताल में 20 रुपया में 110 जांच की सुविधा-

अनाधिकृत,महंगीऔर फर्जी जांचों पर लगाम लगाने हेतु जिला अस्पताल में मात्र 20 रुपये में 110 प्रकार की पैथालॉजी जांच की सुविधा उपलब्ध है।यहां आधुनिक उपकरणों के जरिये सरकारी तौर पर अधिकृत जांच रिपोर्ट जारी की जाती है।लेकिन जागरूकता की कमी के चलते मरीज इसका लाभ नहीं ले पा रहे।इसमें कमीशन के चक्कर मे चिकित्सकों की भूमिका भी संदिग्ध है।

कलेक्शन सेंटर की आड़ में खेल-

कार्रवाई से बचने शातिर लैब संचालकों ने डठठै से सांठगांठ करके कलेक्शन सेंटर के नाम पर खेल करने का जुगाड़ बना लिया है।लेकिन अन्य जरूरी मापदंड को पूरा करने में यह संचालक नाकाम साबित हो रहे हैं।ऐसी स्थिति में आवेदन निरस्त होने की पूरी गुंजाइश है।

इनका कहना है –

’‘‘हमारे कार्यालय में पैथालॉजी संचालन हेतु अभी तक ऑनलाइन पांच आवेदन प्राप्त हुये हैं।इनकी जांच करवाई जावेगी,मापदंड पूरा नहीं होने पर आवेदन निरस्त किया जावेगा।फिलहाल किसी को भी पैथालॉजी संचालन की अनुमति जारी नहीं की गई है।अवैध संचालन पर शीघ्र कार्रवाई की जावेगी।‘‘’डॉ रमेश मरावी,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डिंडोरी